जानिए हज़रत अबू बक्र (रज़ियल्लाह तआला अन्हु) के पिता का क़बूल-ए-इस्लाम ? ज़रूर पढ़ें
मफ़हूम-ए-हदीस:
हज़रत असमा बिन्त अबीबक्र रज़ियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं ( फ़त्हे मक्का के दिन) जब रसूलुल्लाह सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म मक्का में दाखिल हुए और मस्जिदे हराम तशरीफ़ ले गए तो हज़रत अबूबक्र रज़ि० अपने वालिद अबू कहाफ़ा का हाथ पकड़ कर आपकी खिदमत में लाए । जब आप सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म ने उन्हें देखा तो इर्शाद फ़रमाया : अबूबक्र ! इन बड़े मियां को घर में क्यों नहीं रहने दिया कि मैं खुद उनके पास घर आ जाता ?
उन्होंने अर्ज़ किया : या रसूलुल्लाह ! इन पर ज़्यादा हक बनता है कि यह आपके पास चलकर आएं , बजाए इसके कि आप इनके पास तशरीक ले जाएं । रसूलुल्लाह सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म ने उनको अपने सामने बिठाया और उनके सीने पर हाथ मुबरक फेर कर इर्शाद फ़रमाया : आप मुसलमान हो जाएं । चुनांचे हज़रत अबू कहाफ़ा रज़ि० मुसलमान हो गए ।
जब हज़रत अबूबक्र रज़ि० अपने वालिद को रसूलुल्लाह सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म के पास लाए तो उनके सर के बाल , सगामा दरख्त की तरफ सफेद थे । आप सल्लसल्लाहु अलैहि वसल्ल्म ने इर्शाद फ़रमाया : इन बालों की सफेदी को ( मेंहदी वगैरह लगाकर ) बदल दो ।
( मसनद अहमद , तबरानी , मज्मज़्ज़वाइद )
फ़ायदा :
सगामा एक दरख्त है जो बर्फ के मानिन्द सफेद होता है ।
( मुन्तख़ब अहादीस सफा 611 )