खून का धो डालना काफी है |
असमा रज़ि० कहती हैं की एक औरत नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आई और उसने कहा की बताइए हम में से किसी के कपडे में माहवारी हो जाये तो वह उसे क्या करे ? तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया वह उसे खुरूच डाले, फिर उसे पानी डाल कर रगड़े और उसे और पानी से धो डाले और उसी कपड़ा को पहने हुए नमाज़ पढ़ ले |
(बुखारी: २२७)
माई आयशा रज़ि० कहती हैं की फातिमा बिन्त अबी हुबैश नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आई और कहा की ऐ अल्लाह के नबी! मैं एक ऐसी औरत हूँ जिसे प्राय: माहवारी आती रहती है फिर बहुत दिनों तक पाक नहीं हो पाती क्या मैं नमाज़ छोड़ दूँ? तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया नहीं! यह रंग का खून है और माहवारी नहीं है |
अत: जब तुम्हारी माहवारी का समय आ जाये तो नमाज़ छोड़ दो और जब माहवारी का समय गुजर जाये तो खून अपने शरीर से धो डालो, उसके बाद नमाज़ पढ़ो | फिर हर नमाज़ के लिए वुजू किया करो जब तक की फिर माहवारी का समय न जाये तो फिर नमाज़ छोड़ देना |
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